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10 दिनों बाद भगवान जगन्नाथ आज मौसी के घर से लौटेंगे


    पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार मान्यता है कि महादानी राजा बलि को दिए गए वचन के अनुसार भगवान विष्णु उनके साथ पाताल लोक चले जाते हैं। माता लक्ष्मी राजा बलि को अपना भाई मानकर उनसे वरदान मांग लेती हैं कि भगवान उनके साथ मात्र चार माह के लिए ही पाताल लोक में रहेंगे। इसके बाद वापस देव लोक आ जाएंगे। भगवान के क्षीरसागर में जाने से सभी देवगण भी विश्राम पर चले जाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में इसे चातुर्मास कहा जाता है

    देवउठनी को जागेंगे देवगण

    शास्त्रीय परंपरा के अनुसार भगवान के पाताल लोक जाने के दौरान चार माह तक किसी भी तरह के शुभ संस्कार करने की मनाही है। कार्तिक शुक्ल एकादशी 25 नवंबर को भगवान पाताल लोक से लौटेंगे। इस दिन भगवान विष्णु केशालिग्राम स्वरूप का विवाह तुलसी (वृंदा) से कराया जाएगा। इसके बाद ही शुभ संस्कारों की शुरुआत होगी।


    कोरोना के चलते नहीं निकलेगी आज बहुड़ा यात्रा

    देवउठनी को जागेंगे देवगण

    शास्त्रीय परंपरा के अनुसार भगवान के पाताल लोक जाने के दौरान चार माह तक किसी भी तरह के शुभ संस्कार करने की मनाही है। कार्तिक शुक्ल एकादशी 25 नवंबर को भगवान पाताल लोक से लौटेंगे। इस दिन भगवान विष्णु केशालिग्राम स्वरूप का विवाह तुलसी (वृंदा) से कराया जाएगा। इसके बाद ही शुभ संस्कारों की शुरुआत होगी।

     कोरोना के चलते नहीं निकलेगी आज बहुड़ा यात्रा

    कोरोना महामारी के चलते इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकाली गई थी। भगवान को मात्र रथ पर विराजित करने की परंपरा निभाने के बाद तुरंत रथ से उतारकर मंदिर में ही एक कमरे में प्रतिष्ठापित किया गया था। अब 10 दिन बाद भगवान को फिर से मूल गर्भगृह में विराजित किया जाएगा। हर साल मौसी के घर से भगवान को रथ पर विराजित करके मूल मंदिर ले जाया जाता है, जिसे बहुड़ा यात्रा कहा जाता है लेकिन इस बार बहुड़ा यात्रा नहीं निकलेगी। भगवान को बुधवार को भक्तगण अपने कांधों पर विराजित करके मूल मंदिर ले जाएंगे।

    पांच माह का चातुर्मास

    इस साल क्वांर माह दो बार पड़ने से चातुर्मास चार की बजाय पांच माह तक मनाया जाएगा। इस दौरान शुभ संस्कार नहीं होंगे।

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