मंदिर में है वेधशाला
मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में शिवभक्त राजारत्न देव ने करवाया था। कलचुरी कालीन छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर में मंदिर को वेधशाला और ज्योतिषी विज्ञानं के केंद्र के रूप में भी उपयोग किया जाता था। शिवलिंग पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों से ही समय का निर्धारण कर ज्योतिष पंचांग का निर्माण किया जाता था। मंदिर में सूर्यदेव की बलुआ पत्थर से बनी दुर्लभ प्रतिमा मंदिर की दीवार पर अभी भी लगी हुई है। साथ ही खंडित अवस्था में शिलालेख भी हैं
नहीं चढ़ा सकेंगे प्रसाद, मास्क भी अनिवार्य
सोमवार को सावन का पहला दिन और पहला सावन सोमवार है। कोरोना वायरस को देखते हुए इस बार शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ कम ही रहेगी। वहीं शिवालयों में अभिषेक पूजन करने के लिए मास्क अनिवार्य होगा। इसके बिना मंदिर में प्रवेश वर्जित रहेगा और तीन से अधिक की संख्या में भक्तों को प्रवेश की अनुमति मिलेगी। शिव भक्त सिर्फ अभिषेक पूजन कर सकेंगे। पर वे प्रसाद चढ़ा नहीं सकेंगे और न ही मंदिर से उन्हें किसी भी प्रकार का प्रसाद मिलेगा।
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