करोड़ों के लिक्वर घोटाले में फंसे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, अदालत ने बेल याचिका खारिज करते हुए जांच को गंभीर बताया
RVKD NEWS: बिलासपुर। CG NEWS:
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित लिक्वर घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को शुक्रवार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। लखमा की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच ने बेल याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि मामला अत्यंत गंभीर है और इसमें राहत देना उचित नहीं होगा।
EOW की दलीलें बनीं भारी
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू (EOW) की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने कोर्ट में पेश होकर बताया कि लखमा के बंगले में हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए की अवैध रकम पहुंचती थी, और लिक्वर घोटाला एक संगठित सिंडिकेट के रूप में संचालित होता था, जिसमें अधिकारी से लेकर मंत्री तक कमीशनखोरी में शामिल थे।
उन्होंने बताया कि अब तक 27 गवाहों के बयान लिए जा चुके हैं, जिनमें साफ संकेत मिलते हैं कि लखमा इस पूरे रैकेट में अहम भूमिका निभा रहे थे। कोर्ट को यह भी बताया गया कि घोटाले में पूर्व मंत्री को करीब 64 करोड़ रुपए का लाभ मिला है।
क्या है पूरा घोटाला?
छत्तीसगढ़ में इस घोटाले की शुरुआत आयकर विभाग की जांच से हुई थी, जिसमें पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, तत्कालीन मुख्यमंत्री सचिवालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया, रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर और अन्य रसूखदारों की मिलीभगत उजागर हुई।
शिकायत के आधार पर ईडी (ED) ने 18 नवंबर 2022 को PMLA एक्ट के तहत केस दर्ज किया, और जांच के बाद बताया गया कि पूरे सिस्टम में 3200 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला हुआ। लिक्वर बिक्री को लेकर बनाई गई फर्जी कंपनियां, वसूली रैकेट और नेताओं-अधिकारियों की सांठगांठ इस पूरे खेल का हिस्सा थी।
कब और कैसे हुई कवासी लखमा की गिरफ्तारी?
15 जनवरी 2025 को ED ने कवासी लखमा को गिरफ्तार किया। इससे पहले उनसे दो बार पूछताछ की जा चुकी थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड में रखा गया, फिर 21 जनवरी से न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
अब तक इस मामले में चार चार्जशीट
फाइल हो चुकी हैं, जिनमें लखमा समेत 21 आरोपी बनाए गए हैं।
हाईकोर्ट में क्या दलीलें दी गईं?
लखमा के वकील ने तर्क दिया कि मामले में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है और उन्हें केवल राजनीतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है। गिरफ्तारी करीब डेढ़ साल पुराना केस बताकर असंवैधानिक बताई गई। लेकिन अदालत ने इन तर्कों को खारिज करते हुए जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया।
अब क्या होगा?
इस फैसले के बाद पूर्व मंत्री की रिहाई की उम्मीदें फिलहाल खत्म हो गई हैं। वहीं कांग्रेस खेमा लगातार इस घोटाले को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है और 19 जुलाई को प्रदेशभर में ईडी के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी भी जोरों पर है।
इस पूरे लिक्वर घोटाले में शामिल कई बड़े नाम अब जांच एजेंसियों की रडार पर हैं और आने वाले दिनों में राजनीतिक भूचाल और गहरा सकता है।
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