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RVKD NEWS: रोज मंदिर जाएं… लेकिन मांगने नहीं, शुक्रिया कहने! संतों और शास्त्रों का सीधा संदेश



RVKD NEWS: जीवन मंत्रा। Spiritual Advice: जब भी जीवन में कोई कठिनाई आती है, हम में से कई लोग मंदिर जाकर भगवान से कुछ न कुछ मांगते हैं। श्रद्धा में यह स्वाभाविक है, लेकिन यदि हर दिन वही मांग दोहराई जाए, तो यह श्रद्धा नहीं, संशय का संकेत बन जाती है। शास्त्रों और संतों की वाणी कहती है— मांग कम, विश्वास अधिक होना चाहिए।


भगवद्गीता का संदेश: बार-बार मांगना नहीं, भरोसा करना सीखें

भगवद्गीता में श्रीकृष्ण स्पष्ट कहते हैं —

"अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥"

अर्थात् जो भक्त मन, वाणी और कर्म से एकनिष्ठ होकर भगवान का स्मरण करते हैं, उनकी आवश्यकताओं और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं श्रीकृष्ण उठाते हैं। इसका अर्थ यह है कि बार-बार मांगने की आवश्यकता नहीं है, यदि विश्वास अटल हो।


RVKD NEWS: फल मिलने का समय तय करता है ग्रहों का खेल

ज्योतिषीय दृष्टि से भी यही समझाया गया है कि किसी भी इच्छा की पूर्ति दशा, गोचर और योगों के अनुकूल समय पर ही होती है। जब समय प्रतिकूल होता है, तब चाहे कितनी भी प्रार्थनाएं की जाएं, फल नहीं मिलता। बार-बार वही मांग दोहराने से मन में संशय और चिंता बढ़ती है, जो श्रद्धा को भी कमजोर कर देता है।


संतों की सिखावन: 'मांगन मरण समान है'

संत कबीर ने स्पष्ट कहा है —

"मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख। मांगन से मरना भला, यह संतों की सीख॥"

संतों की दृष्टि में बार-बार मांगना आत्मबल और विश्वास को कमजोर करता है। यहां तक कि यह भी कहा गया है कि – "बार-बार मांगने वाले को ब्रह्मा भी नहीं देता।"

इसका सीधा भाव यह है कि सृजनकर्ता भी वही देता है, जो समय और भाव अनुकूल हो।


RVKD NEWS: मंदिर जाना बंद न करें, लेकिन दृष्टिकोण बदलें

संतों और शास्त्रों का संदेश साफ है — रोज मंदिर जाएं, लेकिन मांगने नहीं, शुक्रिया कहने। ईश्वर को बार-बार अपनी इच्छाएं सुनाने के बजाय यह कहें – “प्रभु, जो दिया है, उसका धन्यवाद।” यही दृष्टिकोण ईश्वर को प्रिय है और यही भक्ति की सच्ची राह है।

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